free education महंगे प्राइवेट स्कूलों में भी EWS बच्चों को फ्री में पढ़ाया जा सकता है… क्या है RTE का नियम

free education : भारत में हर माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे अच्छे स्कूलों में पढ़ाई करें और एक बेहतर भविष्य बना सकें। खासकर जब बात प्राइवेट स्कूलों की आती है तो हर किसी का सपना होता है कि उनके बच्चे भी इन महंगे स्कूलों में शिक्षा प्राप्त करें। लेकिन बढ़ती फीस और आर्थिक बोझ के चलते कई अभिभावकों के लिए यह सपना अधूरा ही रह जाता है।

हाल ही में एक बच्ची को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर मुरादाबाद के सबसे महंगे स्कूल में बिना फीस दाखिला मिला। इसके बाद पूरे देश में यह सवाल उठने लगा कि क्या आम लोग भी अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में फ्री में पढ़ा सकते हैं? इसका जवाब है – हां, लेकिन कुछ शर्तों के साथ। इसका आधार है भारत सरकार का शिक्षा का अधिकार कानून, जिसे हम RTE एक्ट 2009 के नाम से जानते हैं।

शिक्षा का अधिकार कानून (RTE) क्या है?

RTE यानी Right to Education Act, 2009 भारत सरकार द्वारा लागू किया गया एक कानून है, जिसका मुख्य उद्देश्य 6 से 14 वर्ष के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा दिलाना है। इस कानून के अनुसार, सभी निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों को पहली कक्षा में 25% सीटें EWS (Economically Weaker Section) और वंचित वर्ग (Disadvantaged Group) के बच्चों के लिए आरक्षित करनी होती हैं।

Also Read:
Digital Shiksha Yojana मुख्यमंत्री डिजिटल शिक्षा योजना के तहत दसवीं पास को मिलेगा फ्री लैपटॉप Digital Shiksha Yojana

EWS कोटे के तहत क्या है पात्रता?

इस योजना का लाभ केवल उन्हीं बच्चों को मिलता है जो आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों से आते हैं। इसके लिए माता-पिता की सालाना आय एक निश्चित सीमा से कम होनी चाहिए (यह सीमा राज्य सरकार द्वारा तय की जाती है)। साथ ही, अभिभावकों को संबंधित विभाग से EWS प्रमाणपत्र बनवाना होता है।

प्राइवेट स्कूलों में कैसे होता है दाखिला?

RTE कानून के तहत प्राइवेट स्कूलों को हर वर्ष पहली कक्षा (या जहां से स्कूल की शुरुआत होती है) में 25% सीटें आरक्षित करनी होती हैं। इन सीटों पर चयन लॉटरी या निर्धारित सरकारी प्रक्रिया के माध्यम से होता है। एक बार दाखिला मिल जाने के बाद बच्चे को 8वीं कक्षा तक पूरी पढ़ाई मुफ्त कराई जाती है – जिसमें ट्यूशन फीस, किताबें, और यूनिफॉर्म शामिल होती हैं।

स्कूल मना करें तो क्या करें?

ऑल इंडिया पेरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एडवोकेट अशोक अग्रवाल के अनुसार, अगर कोई स्कूल EWS कोटे के तहत पात्र बच्चे को दाखिला देने से मना करता है, तो यह कानून का उल्लंघन है। ऐसी स्थिति में आप जिला शिक्षा अधिकारी या संबंधित राज्य शिक्षा विभाग में शिकायत दर्ज करा सकते हैं। कुछ राज्यों में ऑनलाइन पोर्टल भी उपलब्ध हैं जहाँ से आवेदन और शिकायत दोनों की जा सकती हैं।

Also Read:
E Shrma Card Rule ई-श्रम कार्ड पर बड़ी खुशखबरी! हर महीने मिलेंगे ₹9000 – जानिए पूरी प्रक्रिया E Shrma Card Rule

क्या 8वीं के बाद भी मिल सकती है फ्री पढ़ाई?

RTE कानून फिलहाल 8वीं कक्षा तक लागू है। लेकिन कुछ राज्यों ने इसे अपने स्तर पर 12वीं तक बढ़ा दिया है। उदाहरण के लिए, दिल्ली में सरकारी ज़मीन पर बने प्राइवेट स्कूलों को कोर्ट के आदेश से 12वीं तक EWS छात्रों को मुफ्त शिक्षा देनी होती है। अन्य राज्य भी इस नियम को लागू कर सकते हैं क्योंकि संविधान के अनुसार राज्यों को इस कानून में बदलाव करने का अधिकार है

Leave a Comment